कर्ण और अर्जुन अंतिम युद्ध- कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र युद्ध- कर्ण अर्जुन अंतिम युद्ध (Karna Vs Arjuna – Finale Battle)
Karna Vs Arjuna – Finale battle | कर्ण और अर्जुन का अंतिम युद्ध शायद द्वापरयुग का सबसे भयानक युद्ध था. एक तरफ शापो से ग्रासित, इंद्र से कवच हरण किया हुवा कर्ण था, जो इस युद्ध मे पहली और आखरी बार अपने तेजस्वी विजय धनुष का इस्तेमाल करणे वाला था. तो दुसरी तरफ धनुर्धारी अर्जुन, जिसके पास भगवान कृष्ण थे, हनुमानजी उनके रथ कि रक्षा कर रहे थे और साथ ही दिव्य गांडीव धनुष था. इस अभूतपूर्व लडाइ को देखणे के स्वर्ग के देवता, महान्तन ऋषि, गन्धर्व सब आये थे.
कर्ण अर्जुन युद्ध के शुरवात होती हे (Karna Vs Arjuna – Finale Battle), अर्जुन नलिका और अन्जलिका नमक अस्त्रों से कर्ण पर आक्रमण करता हे. पर कर्ण अपने तिरो से इन दिव्यास्त्रो को नष्ट कर अर्जुन को त्रस्त और घायल कर देता हे. भगवन कृष्ण और गदाधारी भीम कर्ण को अर्जुन पर भारी पड़ता देख क्रोधित हो जाते हे. ये देख अर्जुन भी आवेशित होकर कर्ण और उसके साथ खड़ी सेना पर तिरो से बारिश करता, जिसकारण कर्ण घायल होता हे और उसके साथ की सेना भाग जाती हे. कर्ण अकेला बचता हे.
कर्ण को घायल हुवा देख अर्जुन ब्रह्मास्त्र का आवाहन करता हे, पर कर्ण ब्रह्मास्त्र को निरस्त्र कर देता हे. ब्रह्मास्त्र को निरस्त्र हुवा देख कौरव सेना कर्ण के जयजयकार करती हे. अर्जुन और कर्ण एकदूसरे पर तिरो की बारिश कर देते हे, कर्ण के तिरो की तीव्रता का मुकाबला करने के लिए अर्जुन गांडीव की प्रत्यंचा को खीचते समय अर्जुन अपनी प्रत्यंचा को तोड़ देता हे. तब महावीर कर्ण भीम और भगवन कृष्ण तिरो की बौछार कर देता हे, कर्ण के तिरो का सामना न कर सकने के कारन गदाधारी भीम वहासे भाग जाता हे. इस दौरान अर्जुन अपनी प्रत्यंचा बदल लेता हे पर कर्ण अपने तिरो से अर्जुन के साथकी सोमका और पांचाल की सम्पूर्ण सेना को मार देता हे. जब युधिष्ठिर युद्धक्षेत्रपर आता हे तो कर्ण आक्रमण कर युधिष्ठिर को रणक्षेत्र से भागने को मजबूर कर देता हे.
कर्ण का नागास्त्र, अश्वसेन नाग और अर्जुन (Karna, Ashwasena and Arjuna)
कर्ण के सामने अर्जुन था, अब कौरव सेना और पांडव सेना लड़ना छोड़कर इन दो महान वीरो का युद्ध देखने लगी थी. कर्ण अपने धनुष से एक के बाद एक पांच सर्पबाण छोड़ता हे, जिनमे से एक तीर भगवान कृष्ण का कवच फाड़ देता हे. भगवान् कृष्ण की जगह अगर कोई भी योद्धा होता तो वो इस वार को सहन नहीं कर पाता. सर्पबानो के बाद कर्ण नागास्त्र का आवाहन करता हे, और उसपर अश्वसेन नाग को रखकर अर्जुन की तरफ छोड़ देता हे. भगवन कृष्ण ये देखकर अपनी शक्ति से रथ को निचे दबा देते हे, और अर्जुन के मुकुट से टकराकर नागास्त्र अर्जुन के दिव्य मुकुट को भस्म कर देता हे. तब भगवन श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हे “उसने खांडव वन जलाकर अश्वसेन की माँ की हत्या की थी, इसीकारण अश्वसेन बदला लेने आया हे, इससे पहले वो तुम्हे मारे तुम उसे मार दो”. ये सुनकर अर्जुन अश्वसेन को मार देता हे.
कर्ण का ब्रह्मास्त्र और अर्जुन का दिव्यरथ (Karna’s Brahmastra and Divine Chariot Of Arjuna)
क्रोधीत अजुन अब कर्ण पर हमला कर देता हे, युद्ध में पहली बार अर्जुन कर्ण पर भारी पड़ता हे और उसे घायल कर देता हे. पर कर्ण भी कुछ कम न था वो अर्जुन के चलाये अस्त्रों को काट देता हे, और एक के बाद एक अर्जुन के धनुष की ११ बार प्रत्यंचा काट देता हे. अर्जुन और सारथी बने भगवन कृष्ण को घायल कर कर्ण फिरसे एकबार युद्ध अपनी तरफ कर लेता हे. कर्ण ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता हे, जिसके खिलाफ अर्जुन इन्द्रास्त्र चलाता हे. पर इन्द्रास्त्र ब्रह्मास्त्र को काट नहीं पाता और कर्ण का ब्रह्मास्त्र अर्जुन के रथ पर गिर जाता हे. पर भगवन कृष्ण अपनी माया से ब्रह्मास्त्र का प्रभाव युद्ध ख़त्म होने तक नहीं होने देते. कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद अर्जुन के रथ का विस्फोट हो जाता हे, तब भगवन कृष्ण बताते हे रथ का विस्फोट कर्ण के न काटे हुए दिव्यास्त्रो से हुवा हे.
कर्ण अर्जुन का अंतिम युद्ध (Finale Battle Of Karna Arjuna)
भगवन कृष्ण को ये भलीभाती समझ में आता हे की, कर्ण को सीधे युद्ध में पराजित करना अर्जुन के लिए नामुनकिन के बराबर हे. उसी वक्त पुराने श्राप के कारन कर्ण के रथ का पहिया धरती में फस जाता हे. कर्ण अपने रथ का पहिया निकालने के लिए कुछ क्षण ठहरने को कहता. अर्जुन तब भी कर्ण पर बानो की वर्षा करता हे तो कर्ण अर्जुन को युद्धशास्त्र के नियम याद दिलाता हे. इसके जवाब में भगवन श्रीकृष्ण कर्ण को द्रोपदी के अपमान की याद दिलाते हे.
अर्जुन कर्ण पर आग्नेयास्त्र चलाता हे, तो कर्ण वरुनास्त्र से उसे काट डालता हे, और उस समय भी कर्ण एक जलता हुवा तीर अर्जुन पर चलाता हे जो अर्जुन के दिव्य कवच और शरीर को चीरता हुवा आरपार चला जाता हे. कर्ण के इस तीर से अर्जुन मुर्छित होकर गिर पड़ता हे कर्ण अगर चाहता तो अर्जुन को मार सकता था, पर कर्ण ने ऐसा नहीं किया. कर्ण अपने धनुष को रथपर रख पहिया निकालने रथ से निचे उतर गया. पर पहिया निकल नहीं पाया साथ ही श्रापों के कारन कर्ण दिव्यास्त्रो को अवहित करने के मन्त्र भी भूल गया.
अबतक अर्जुन होश में आ जाता हे, भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हे. ये अकेला और अंतिम मौका हे जब तुम कर्ण को मार सकते हो. अगर अब तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हारे जीवन का चक्र रुक जायेगा.
अर्जुन … जिसे जीवनभर सर्वश्रेष्ठ धनुर्धन कहकर जाना गया, इस महान धनुर्धर के आगे था कर्ण… सूतपुत्र कर्ण… इसी नामसे तो बुलाता था अर्जुन और दुनिया उसे. पर प्रश्न ये था क्या एक महान राज परिवार का महान योद्धा एक सूतपुत्र को मारने के लिए युद्ध नियम तोड़ेगा, जिन्हें कभी उस सूतपुत्र ने नहीं तोडा??
अर्जुन एक तीरसे कर्ण के रथ का ध्वज काट देता हे और अन्जलिका अस्त्र का प्रयोग रथ का पहिया उठा रहे कर्ण के मस्तिष्क को निशाना बना कर छोड़ देता हे. कर्ण यकिनन मारा गया, और Karna Vs Arjuna Finale Battle मे अंतिम विजय अर्जुन कि रही पर आज भी करोडो लोगो के दिलो मे कर्ण जिंदा हे सबसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा और धनुर्धर बंकर
आप को Karna Vs Arjuna एपिसोड कैसा लगा बताये, साथ ही बताये की आप क्या सोचते हे की अगर कर्ण रथसे निहत्ता ना उतरता तो …??
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